जंगल कहानी- दोस्ती और धोखा: विश्वासघात का सबक

पढ़ें दोस्ती और धोखा की यह मार्मिक जंगल की कहानी। जानें कैसे भोला बंदर चीकू अपने लालची दोस्त सियार धूर्जट के विश्वासघात का सामना करता है। बच्चों के लिए प्रेरणादायक हिंदी कहानी।

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जीवन में दोस्ती (Friendship) एक अनमोल तोहफा होती है। हमें लगता है कि सच्चा दोस्त हमेशा हमारा भला सोचेगा और हमारे भरोसे को कभी नहीं तोड़ेगा। लेकिन क्या हो जब आपका सबसे करीबी दोस्त ही आपको धोखा (Betrayal) दे दे?

आज हम आपको 'नीलगिरी' जंगल के दो दोस्तों की कहानी सुनाने जा रहे हैं— एक भोला बंदर चीकू और एक चतुर सियार धूर्जट। यह जंगल की कहानी बच्चों को सिखाएगी कि विश्वास (Trust) एक नाजुक डोर है, जिसे टूटने में देर नहीं लगती, और हमें हमेशा सही दोस्तों का चुनाव करना चाहिए। यह एक प्रेरणादायक हिंदी कहानी है जो जीवन के एक कठोर, पर ज़रूरी सबक को सिखाती है।

नीलगिरी जंगल के दो अलग दोस्त

नीलगिरी के हरे-भरे जंगल में, नदी के किनारे एक ऊँचे पेड़ पर बंदर चीकू रहता था। चीकू स्वभाव से बहुत भोला और मददगार था। उसका सबसे अच्छा दोस्त था सियार धूर्जट। धूर्जट अपनी चतुराई के लिए मशहूर था, पर उसका दिल लालच से भरा हुआ था।

चीकू और धूर्जट अक्सर साथ में भोजन की तलाश करते थे। धूर्जट हमेशा चालाकी से कम मेहनत करता, जबकि चीकू बिना शिकायत के सारे काम कर देता। चीकू को धूर्जट पर अटूट विश्वास था।

एक दिन, जंगल में फलों की कमी हो गई। सभी जानवर खाने के लिए परेशान थे। चीकू ने फैसला किया कि वह जंगल के सबसे गहरे हिस्से में जाकर कुछ मीठे फल खोजेगा।

चीकू (उत्साह से): "धूर्जट, मैं जंगल के पूरब की ओर जा रहा हूँ। सुना है, उधर एक जगह बहुत मीठे फल मिलते हैं।" धूर्जट (आलस्य से): "अरे चीकू, इतनी दूर क्यों जाना? बेकार में थक जाओगे। यहाँ-वहाँ ढूँढ लो।"

लेकिन चीकू नहीं माना। वह अपनी जान जोखिम में डालकर भी अपने दोस्तों और परिवार के लिए फल लाना चाहता था।

ख़ुशी का खजाना और विश्वास की डोर

कई घंटों की मेहनत और झाड़ियों से जूझने के बाद, चीकू को एक अद्भुत नज़ारा दिखा। एक छोटी-सी, छिपी हुई घाटी में जामुन का एक विशाल पेड़ खड़ा था, जिस पर पके और रसदार जामुन लदे थे। इतने जामुन थे कि पूरे जंगल का पेट भर जाए।

चीकू ख़ुशी से उछल पड़ा। उसने जल्दी-जल्दी कुछ जामुन खाए, फिर अपनी झोली भर ली और वापस अपने दोस्त धूर्जट के पास भागा।

चीकू (ख़ुशी से चिल्लाते हुए): "धूर्जट! धूर्जट! सुनो, मैंने एक ख़ुशी का खजाना ढूँढ़ लिया है! एक ऐसा पेड़, जिस पर इतने जामुन हैं कि हमने कभी सोचे भी नहीं होंगे!"

धूर्जट ने जामुन देखे, तो उसकी आँखें लालच से चमक उठीं। उसने तुरंत चीकू को गले लगा लिया।

धूर्जट (बनावटी प्यार से): "मेरे प्यारे दोस्त चीकू! तुम सचमुच महान हो! पर यह ख़ुफ़िया जगह कहाँ है? क्या तुम मुझे बताओगे?"

चीकू ने बिना सोचे-समझे, जामुन के पेड़ का सारा रास्ता धूर्जट को बता दिया। उसने यह भी बताया कि पेड़ एक चट्टान के पीछे छिपा है, जहाँ बाकी जानवर नहीं पहुँच पाते। चीकू को लगा कि धूर्जट अब उसके साथ मिलकर जामुन तोड़ेगा और वे सब मिलकर खाएँगे।

धोखे की शुरुआत और बढ़ता लालच

अगले दिन, चीकू ने धूर्जट को जामुन तोड़ने के लिए बुलाया।

चीकू: "चलो धूर्जट, आज सुबह-सुबह चलते हैं, ताकि हम ढेर सारे जामुन ला सकें।" धूर्जट (झूठ बोलते हुए): "अरे यार, चीकू! आज तो मेरी तबियत थोड़ी ख़राब है। मेरे पैर में दर्द है। तुम जाओ, मैं कल तुम्हारे साथ चलूँगा। आज तुम ले आओ, कल हम बाँट लेंगे।"

भोले चीकू ने उस पर विश्वास कर लिया और अकेला ही जामुन तोड़ने चला गया। लेकिन उसे क्या पता था कि धूर्जट ने रात भर नींद खराब करके जामुन के पेड़ के पास जाने का प्लान बना लिया था।

चीकू के जाने के कुछ देर बाद, धूर्जट चुपके से जामुन के पेड़ की ओर भागा। उसने देखा कि पेड़ जामुनों से भरा हुआ है। धूर्जट का लालच (Greed) इतना बढ़ गया कि उसने सोचा, 'क्यों न मैं सारे जामुन ख़ुद ही खा लूँ? अगर मैंने चीकू को दिया, तो मुझे आधा बाँटना पड़ेगा।'

धूर्जट अगले तीन दिन तक रोज़ सुबह-शाम जामुन के पेड़ पर जाता रहा। वह जामुन खाता, और जो जामुन नहीं खा पाता, उन्हें पेड़ के नीचे मिट्टी में छिपा देता ताकि कोई दूसरा जानवर उन्हें न देख पाए।

जब चीकू उससे पूछता कि वह कब जामुन तोड़ने चलेगा, तो धूर्जट हमेशा बहाना बना देता: "आज मेरे सिर में दर्द है," या "आज तो मुझे राजा का कोई काम आ गया है।"

सच्चाई का सामना: टूटे हुए जामुन

चीकू को अब शक होने लगा था। धूर्जट की बातों में झूठ की महक थी। एक शाम, चीकू ने धूर्जट को चुपके से उसकी गुफा से बाहर निकलते देखा। चीकू ने फैसला किया कि वह धूर्जट का पीछा करेगा।

धूर्जट सीधा उस जामुन के पेड़ की ओर गया, जिसका रास्ता चीकू ने उसे बताया था। जब चीकू वहाँ पहुँचा, तो वह देखकर स्तब्ध रह गया।

धूर्जट जामुन खा रहा था और ज़मीन पर आधी सड़ी हुई जामुनों का ढेर लगा था—वही जामुन जिन्हें धूर्जट ने लालच में तोड़ा था, पर खा नहीं पाया था। उसने सारे जामुन बर्बाद कर दिए थे ताकि कोई दूसरा उन्हें न पाए।

सबसे बड़ी बात, जामुन का पेड़ अब लगभग खाली हो चुका था।

चीकू को यह देखकर गहरा दुःख हुआ। यह दुःख जामुन खोने का नहीं था, बल्कि दोस्त के धोखे का था। चीकू अपनी आँखों में आँसू लिए हुए धूर्जट के सामने खड़ा हो गया।

चीकू (दर्द भरी आवाज़ में): "धूर्जट... यह क्या है? तुमने... तुमने मेरा विश्वास तोड़ दिया। तुम तीन दिन से बीमार नहीं थे, तुम यहाँ ख़ुद जामुन खा रहे थे! और तुमने ये सारे जामुन बर्बाद कर दिए?" धूर्जट (शर्मिंदा होते हुए): "चीकू, मैं... मैं माफ़ी चाहता हूँ। मुझे लालच आ गया था।" चीकू: "लालच? धूर्जट, मुझे तुम्हारी ईमानदारी पर इतना भरोसा था कि मैंने तुम्हें अपना सबसे बड़ा ख़ुफ़िया खजाना बता दिया। तुम तो मेरे दोस्त थे! क्या तुमने एक बार भी नहीं सोचा कि मुझे और बाकी जानवरों को भी इन जामुनों की ज़रूरत है?"

धूर्जट के पास कोई जवाब नहीं था। उसका सिर शर्म से झुक गया।

सबक और सच्चा न्याय

चीकू ने गहरी साँस ली और सियार की ओर देखा।

चीकू: "मैं तुम्हें सज़ा नहीं दूँगा, धूर्जट। पर तुमने मुझे जो सबक सिखाया है, वह मैं कभी नहीं भूलूँगा। एक धोखेबाज दोस्त (Treacherous friend) से बुरा और कोई दुश्मन नहीं होता।"

चीकू ने फिर जंगल के अन्य जानवरों को बुलाया और उन्हें बताया कि कैसे धूर्जट ने न सिर्फ़ चीकू को, बल्कि पूरे जंगल के लिए रखे जामुन को बर्बाद कर दिया। सभी जानवर धूर्जट से नाराज़ हो गए। उन्होंने फैसला किया कि अब कोई भी धूर्जट पर विश्वास नहीं करेगा और न ही उससे दोस्ती रखेगा।

धूर्जट अकेला रह गया। उसे एहसास हुआ कि लालच और धोखा पल भर का सुख दे सकते हैं, लेकिन सच्ची दोस्ती और सम्मान हमेशा के लिए खो जाते हैं। उस दिन से धूर्जट ने हमेशा सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। चीकू ने भी सीखा कि दोस्त बनाते समय हमेशा समझदारी से काम लेना चाहिए, सिर्फ़ मीठी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

कहानी का सार (Summary)

यह कहानी बंदर चीकू और सियार धूर्जट की है। चीकू ने भरोसे में आकर अपने दोस्त धूर्जट को जामुन के एक गुप्त और भरपूर पेड़ का पता बताया। धूर्जट ने लालच में आकर चीकू को झूठ बोला और तीन दिन तक अकेले जामुन खाए, बाकी जामुन को बर्बाद कर दिया। जब चीकू को धोखे (Betrayal) का पता चला, तो उसने धूर्जट को माफ़ कर दिया, पर जंगल में उसकी सच्चाई बता दी। धूर्जट को अपनी करनी का फल मिला और वह अकेला रह गया, जबकि चीकू ने विश्वासघात (Cheating) से एक बड़ा सबक सीखा।

सीख (Moral)

  1. विश्वास अनमोल है: दोस्ती में विश्वास सबसे बड़ी पूंजी है। एक बार यह टूट जाए, तो उसे वापस पाना लगभग असंभव हो जाता है।

  2. पहचान ज़रूरी है: आँखें बंद करके किसी पर भी विश्वास न करें। दोस्त बनाने से पहले उसकी ईमानदारी और स्वभाव को समझना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि एक धोखेबाज दोस्त आपको सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा सकता है। 

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